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Desh Bhakti Shayari | तिरंगा शायरी | 26 जनवरी के लिए

वंदन पहले मात्रभूमि को, भारत ही भाग्य विधाता है नाम जुबाँ पर सबसे पहले, तेरा ही बस आता है है तिरंगा ऊँचा फहराता, गर्व से सर उठ जाता है

 26 जनवरीके इस अवसर पर देशभक्ति की शायरीये शायरी स्कूल में मंच पेकॉलेज में कही भी आप बोल सकते है, किसी भी मंच पे बोल सकते हैआपके बहुत काम आएगी, 26 जनवरी की शायरी बोलने से पहले,


भारत माता को याद करते है, वन्दे मातरम जय हिन्द जय भारत गणतंत्र दिवस  गणतंत्र दिवस हमारे भारत देश के लिए बहुत ही ख़ास है, क्योकि इसी दिन संविधान लागू किया गया था, इससे पहले अंग्रेजो का कानून चलता था,

और इस दिन से हमारा खुद का अपना कानून बनाया गया जिसे 26 जनवरी को लागू किया गया. डॉ.बाबा साहेब आम्बेडकर ने इसे लिखा और हमारे भारत का नया कानून बना. आजादी की भी बात

बात जब देश की आती है तो आजादी की भी बात होगी और जो हमारे वीर सपूत शहीद हुए उनकी भी बात होगी, हमें आजादी दिलाने की खातिर जिन्होंने अपना जीवन दांव पर लगाया उनको कैसे भुलाया जा सकता है,

उन्ही को याद करते हुए आपके लिए मैं हितेश चौधरी लेकर आया हूँ ये शायरी, जो आप किसी भी स्कूल या मंच पे बोल सकते है, और ऐसी ही और भी शायरी के लिए हमारे youtube चैनल से जुड़ सकते है, चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे.

दोस्तों कही भी बात जब आजादी की या देशभक्ति की आती है तो हम जोश से भर जाते है, 

और हमारे अन्दर एक  अलग ही तरह की उर्जा पैदा हो जाती है,

26 जनवरी के लिए शायरी

1

वंदन पहले मात्रभूमि कोभारत ही भाग्य विधाता है

नाम जुबाँ पर सबसे पहलेतेरा ही बस आता है

है तिरंगा ऊँचा फहरातागर्व से सर उठ जाता है

ध्वज गीत जब कोई गाएमन फुला नहीं समाता है

2

सुबह की लाली जैसे निखरेरंग तेरा है गेरुआ

श्वेत रंग जैसे हिमालयआँखों में बस जाता है

धानी चुनर जैसे ओढ़ेधरती ने श्रृंगार किया

रंग हरा भी तिरंगे कामन को मेरे सुहाता है

3

कहीं किसानो की हरियालीका प्रतिक बन जाता है

कहीं समझौते सौहार्द शांतिका संदेश सुनाता है

लडे जवान जो सीमा परतू रंग-ए-लहू बन जाता है

शान हमारी है तिरंगालहर लहर लहराता है

4

लहू मेरा है तेरे लिएये जान तेरे हवाले है

सीमा के पहरेदार हमवतन के रखवाले है

भारत मेरा स्वर्ग से सुन्दरभारत ही प्यारा है

रहे तिरंगा लहरातातीन रंग ये निराले है

5

ऊँचा रहे तिरंगा हरदमनजर हमारी झुके नहीं

भारत हो सबसे आगेकदम कभी भी रुके नहीं

देश हमारी आन शान हैदेश पे हम मिट जाएंगे

रखो बचाके दुश्मन सेनजर किसी की लगे नहीं

6

आसमान की ऊंचाइयो पेजब तिरंगा लहराता है

हर हिन्दुस्तानी का मनहर्ष से भर भर जाता है

लाखो में है एक तिरंगाहर जन का विश्वास तिरंगा

अम्बर की छटा बढ़ाकेमस्त सा फहराता है

7

हम अमन चैन के यार हैदुश्मन से भी करते प्यार है

पर न समझे कायर कोईलड़ने को भी हम तैयार है

है दया भाव करुणा हम मेंहमें मानवता से प्यार है

पर चाहे कोई झुकाना हमेंतो सिरे से इनकार है

8

ये देश बहुत ही प्यारा हैधडकन सिने की हमारा है

फिर सरहद से आई आवाजभारत माता ने पुकारा है

कोई देश द्रोह करता है तोहम मौत के घाट उतारेंगे

हमें अपनी जाँ से बढ़केप्यारा ये वतन हमारा है

9

जब हिमालय की छोटी पेतिरंगा लहराता है

आजाद हिन्द की ताकततब ये दिखलाता है

और शहीदों का कफ़नजब ये बन जाता है

देशप्रेम की झलकतब ये दिखलाता है

10

यहाँ गंगा है यहाँ जमुना हैये धरती पावन प्यारी है

यहाँ रंग रंग के फूल खिलेये सब धर्मो की क्यारी है

शान की इसके क्या कहनेये अद्भुत शोभा न्यारी है

यहाँ उतरे देव भी अम्बर सेमिल सबने नजर उतारी है

desh bhakti shayari


11

हम वीर है भारत भूमि केरणवीरो से हम लड़ते है

है गर्जन शेरो की हम मेंचीते से आगे बढ़ते है

है पहरेदार हिमालय केरक्षक है भारत माता के

है खून रगों में ज्वाला साहम नहीं किसीसे डरते है

12

आँख जैसे धधके शोलेसिने में अंगार भरा

दुश्मन तेरी औकात क्याएक पल तो तू ठहर जरा

हम वार नहीं करते पहलेहम शांतिदूत है अहिंसा के

पर हमको जो ललकारा तोन बचे कोई हर एक मरा

13

खोए कितने हीरे हमनेतब ये आजादी पाई है

इस दिन के एवज में यारोवीरो ने जान गंवाई है

हम खोने न देंगे इसकोजिसकी कीमत चुकाई है

हमें मुक्त कराने सबनेजान की बाजी लगाईं है

14

ये रंग है आजादी का यारोकोई छुड़ा न पाएगा

जब तक है धरती अम्बरनाम हमारा आएगा

है जननी ये जन्मभूमिकौन जुदा कर पाएगा

जय हिन्द वन्दे मातरम सेसारा जहाँ हिल जाएगा

15

आजादी का दिन है सुहानाचलो इस पर नाज करे

लहराए तिरंगा गगन मेंदेश प्रेम की बात करे

याद करे बलिदानों कोहुए शहीद उन जवानो को

रहे हिलमिल सभी यहाँचलो ऐसा आगाज करे

16

सोने की चिड़िया है भारतआओ इसपे गर्व करे

लोग देखते रह जाएऐसा बड़ा ये पर्व करे

झुके नहीं हम डिगे नहींअटल अडिग खड़े रहे

काम आए एक दूजे केहर मुखड़े पे हर्ष करे

लेखक:हितेश चौधरी ( गीतकार )

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