गांधी के जीवन से सबसे स्थायी सबक में से एक अहिंसा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता है, या जिसे वे "सत्याग्रह" कहते थे
महात्मा गाँधी जी के जन्म जयंती (Gandhi Jayanti) पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते है, जिनमे स्कूल, कॉलेजों में मंच पर भाषण देना होता है या कोई कविता पाठ करना होता है, ऐसे में आपको एक नया भाषण या कविता की जरुरत होती है जो आप के लिए हम हर बार लेकर आते है, तो इस बार भी आपके लिए प्रस्तुत है ये नया भाषण जो आपको जरुर पसंद आएगा.
गाँधी जयंती पर भाषण
प्रिय मित्रो, सम्मानित अतिथिगण, और साथी नागरिको, आज, हम यहां उन महान व्यक्ति - महात्मा गांधी - को याद करने के लिए एकत्र हुए हैं, जिन्होंने हमारे देश और दुनिया के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी। 2 अक्टूबर वह दिन है जिसे हम इस महान आत्मा की जयंती का सम्मान करने के लिए गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं, एक ऐसे व्यक्ति जिनके सिद्धांत, कार्य और दर्शन पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।
महात्मा गांधी, जिन्हें अक्सर "राष्ट्रपिता" कहा जाता है, न केवल एक राजनीतिक नेता थे बल्कि एक नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक थे। उनकी जीवन यात्रा अहिंसा, सत्य की शक्ति और न्याय की अटूट खोज का एक प्रमाण थी। गांधी की शिक्षाएं प्रकाश की किरण के रूप में काम करती हैं, जो शांति, सद्भाव और सामाजिक न्याय के लिए हमारा मार्गदर्शन करती हैं।
गांधी के जीवन से सबसे स्थायी सबक में से एक अहिंसा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता है, या जिसे वे "सत्याग्रह" कहते थे। उन्होंने दिखाया कि हिंसा का सहारा लिए बिना समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाना संभव है। उनके नमक मार्च, दांडी मार्च और विभिन्न भूख हड़तालों ने अहिंसक प्रतिरोध की ताकत का प्रदर्शन किया, जिसने अंततः भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सत्य, या "सत्य" के प्रति गांधी का समर्पण उनके दर्शन की एक और आधारशिला थी। उनका मानना था कि सत्य हमारे कार्यों और निर्णयों का आधार होना चाहिए, चाहे वह कितना भी कठिन या असुविधाजनक क्यों न हो। अक्सर झूठ और धोखे से भरी दुनिया में, सत्य के प्रति गांधी का आग्रह हम सभी के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत बना हुआ है।
इसके अलावा, गांधीजी की सादगी और आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता उद्देश्यपूर्ण और शालीनता से जीवन जीने के महत्व की याद दिलाती है। उनकी कठोर जीवनशैली और ग्रामीण विकास पर ध्यान दुनिया भर में स्थायी जीवन और ग्रामीण सशक्तिकरण के आंदोलनों को प्रभावित करता रहा है।
गांधी जयंती सिर्फ एक ऐतिहासिक शख्सियत को याद करने का दिन नहीं है; यह हमारे लिए उनके द्वारा प्रतिपादित मूल्यों पर विचार करने और यह आकलन करने का अवसर है कि हम उन्हें अपने जीवन और बड़े समाज में कैसे एकीकृत कर सकते हैं। ऐसे युग में जहां हिंसा, भेदभाव और अन्याय कायम है, गांधी की शिक्षाएं प्रासंगिक बनी हुई हैं और एक अधिक न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण दुनिया की ओर मार्ग प्रशस्त करती हैं।
जैसा कि हम गांधी जयंती को मनाते हैं, आइए हम अपने दैनिक जीवन में सहिष्णुता, अहिंसा और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने का संकल्प लें। आइए याद रखें कि परिवर्तन हमसे शुरू होता है, और सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाकर हम एक बेहतर दुनिया में योगदान दे सकते हैं।
महात्मा गांधी की विरासत हम सभी के लिए प्रेरणा का एक कालातीत स्रोत है। इस गांधी जयंती पर, आइए हम खुद को उन आदर्शों के प्रति फिर से समर्पित करें जिनके लिए वे जिए और मरे। आइए हम वह बदलाव लाने का प्रयास करें जो हम दुनिया में देखना चाहते हैं, जैसा कि उन्होंने बहुत ही स्पष्टता से हमें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया। गांधी का प्रेम, शांति और एकता का संदेश लगातार एक प्रकाश के रूप में चमक रहा है, और अधिक दयालु और न्यायपूर्ण विश्व की ओर जाने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
धन्यवाद, और गांधी जयंती की शुभकामनाएँ!
गाँधी जयंती पर कविता - Poem on Gandhi Jayanti in Hindi
कोई किसी धर्म का हो चाहे, भारत में हर कोई अपना था
यहाँ रामराज्य की नीव पड़े, ये गाँधी जी का सपना था
गाँधी जी होते आज अगर, यहाँ मजहब की दीवार न होती
हर जन होता दया का सागर, मानवता की हार न होती
परमार्थ का लक्ष्य होता, श्रम की आग में तपना
यहाँ रामराज्य की नीव पड़े, ये गाँधी जी का सपना था
अहिंसा को हथियार बनाकर, बन जाते लाखो सेनानी
सत्य की बलि वेदी पर यहाँ, हो जाते आत्मबलिदानी
स्वावलम्बी हो हर मानव, मेहनत का खाना पचना था
यहाँ रामराज्य की नीव पड़े, ये गाँधी जी का सपना था
मतलब की इस दुनियाँ में, बापू की गौरव गाथा हो
हम बंधुत्व का नारा दें, और सदाचार ही भाषा हो
बस काव्य पाठ काफी नहीं, जीवन का पाठ भी पढना था
यहाँ रामराज्य की नीव पड़े, ये गाँधी जी का सपना था
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